सोलहवाँ अध्याय
मनुष्य-शरीर प्राप्त करनेकी महिमा, धर्माचरण ही मुख्य कर्तव्य, शरीर और संसारकी दुःखरूपता तथा नश्वरता, मोक्ष-धर्म-निरूपण गरुडजीने कहा-हे दयासिन्धो! अज्ञानके कारण जीव जन्म-मरणरूपी संसारचक्रमें पड़ता है, यह मैंने सुना। अब मैं मोक्षके सनातन उपायको सुनना चाहता हूँ॥१॥ हे भगवन्! हे देवदेवेश!…