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हनुमान चालीसा (PDF) पढ़ने के फायदे

हनुमान चालीसा पढ़ने से कई लाभ होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण लाभों में शामिल हैं: हनुमान चालीसा हिंदी में PDF | Hanuman Chalisa PDF हनुमान चालीसा कैसे सिद्ध करें? हनुमान चालीसा का पाठ करने के “सिद्ध” इन चरणों का पालन करें:…

कार्तिक में दीपदान और उसका महत्व

इन पाँच दिन जरूर जरूर करें दीपदान महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए। दीपदान…

॥ आरती श्री सत्यनारायणजी ॥

जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा।सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे।नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।बूढ़ो ब्राह्मण बनकर कंचन महल कियो॥जय लक्ष्मीरमणा। दुर्बल भील कठारो इन पर कृपा…

॥ आरती श्री जगदीश हरे॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।स्वामीसुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ॐ जय जगदीश हरे। मात-पिता तुम मेरे,…

श्रित कमला मुख मण्डल धृत कुण्डल ए

श्रित कमला मुख मण्डल धृत कुण्डल एकलित ललित वनमाला जय जयदेव हरे । ॐ जय जयदेव हरे दिनमणिमण्डल मण्डन भवखण्डन एमुनिजन मानस हंस जय जयदेव हरे ।ॐ जय जयदेव हरे कालिय विषधर गञ्जन जन रञ्जन एयदुकुल नलिन दिनेश जय जयदेव…

श्रीमङ्गला आरती

श्रियःकान्ताय कल्याणनिधये निधयेऽथिनाम् ।श्रीवेंकटनिवासाय श्रीनिवासाय मंगलम् ॥१॥ लक्ष्मीस विभ्रमालोकेसुभूविभ्रम चक्षुषे ।चक्षुषे सर्वलोकानां वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥२॥ श्रीवैकुण्ठविरक्ताय, स्वामी पुष्करिणीतटे ।रमया रममाणाय, वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥३॥ कमलाकुच कस्तूरी, कर्दमाङ्कित वक्षसे ।यादवाद्रि निवासाय, सम्पत्पुत्राय मङ्गलम् ॥४॥ सुस्मिताय सुनासाय, सुदृशे सुन्दरभ्र वे ।सुलालट किरीटाय, रङ्गराजाय…

जय गणेश देवा आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारीमाथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवालड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।माता…

सोलहवाँ अध्याय

मनुष्य-शरीर प्राप्त करनेकी महिमा, धर्माचरण ही मुख्य कर्तव्य, शरीर और संसारकी दुःखरूपता तथा नश्वरता, मोक्ष-धर्म-निरूपण गरुडजीने कहा-हे दयासिन्धो! अज्ञानके कारण जीव जन्म-मरणरूपी संसारचक्रमें पड़ता है, यह मैंने सुना। अब मैं मोक्षके सनातन उपायको सुनना चाहता हूँ॥१॥ हे भगवन्! हे देवदेवेश!…

पन्द्रहवाँ अध्याय

धर्मात्मा-जनका दिव्यलोकोंका सुख भोगकर उत्तम कुलमें जन्म लेना, शरीरके व्यावहारिक तथा पारमार्थिक दो रूपोंका वर्णन, अजपाजपकी विधि, भगवत्प्राप्तिके साधनोंमें भक्तियोगकी प्रधानता गरुडजीने कहा-धर्मात्मा व्यक्ति स्वर्गके भोगोंको भोगकर पुनः निर्मल कुलमें उत्पन्न होता है, इसलिये माताके गर्भमें उसकी उत्पत्ति कैसे होती…

चौदहवाँ अध्याय

यमलोक एवं यम-सभाका वर्णन, चित्रगुप्त आदिके भवनोंका परिचय,धर्मराजनगरके चार द्वार, पुण्यात्माओंका धर्मसभामें प्रवेश गरुडजीने कहा-हे दयानिधे! यमलोक कितना बड़ा है, कैसा है, किसके द्वारा बनाया हुआ है, वहाँकी सभा कैसी है और उस सभामें धर्मराज किनके साथ बैठते हैं? ॥…