हनुमान चालीसा पढ़ने से कई लाभ होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण लाभों में शामिल हैं:
- वित्तीय समस्याएँ: माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से वित्तीय समस्याएँ दूर होती हैं और पाठक को आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ प्राप्त होती हैं.
- भय और सुरक्षा: माना जाता है कि यह अज्ञात भय और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है, पाठक को सुरक्षा प्रदान करता है.
- नींद और मानसिक शक्ति: सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करने से रात को अच्छी नींद आती है और मानसिक शक्ति और शांति भी मिलती है।
- शारीरिक और मानसिक शक्ति: माना जाता है कि यह शारीरिक और मानसिक शक्ति देता है, जिससे पाठक अधिक लचीला और चुनौतियों पर काबू पाने में सक्षम होता है.
- शिक्षा और जीवन में सफलता: हनुमान चालीसा का पाठ करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और शिक्षा और अन्य प्रयासों में सफलता मिलती है.
- बुरे सपने और अवसाद पर काबू पाना: सोने से पहले और रोजाना 7 बार क्रमशः इसका पाठ करने से बुरे सपने और अवसाद पर काबू पाने में मदद मिलती है.
- अदालती मामले और दुर्घटनाएँ: माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से अदालती मामलों में जीत मिलती है और दुर्घटनाएँ रुकती हैं.
- बुरी आत्माओं से सुरक्षा: माना जाता है कि शाम के समय इसका पाठ करने और गुग्गल और कपूर जलाने से यह पाठक को बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है.
- आध्यात्मिक विकास और मुक्ति: हनुमान चालीसा का पाठ करने का अंतिम लक्ष्य आध्यात्मिक विकास और मुक्ति माना जाता है, जिससे पाठक का सर्वोच्च स्थान तक पहुँचने का मार्ग आसान हो जाता है.
हनुमान चालीसा हिंदी में PDF | Hanuman Chalisa PDF
हनुमान चालीसा कैसे सिद्ध करें?
हनुमान चालीसा का पाठ करने के “सिद्ध” इन चरणों का पालन करें:
- पवित्रता और शुद्धता: एक शुद्ध और पवित्र जीवन शैली बनाए रखें। सुनिश्चित करें कि आप किसी भी तरह की अशुद्धता से मुक्त हैं और आध्यात्मिक शुद्धता का उच्च स्तर बनाए रखें.
- 108 बार: हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें। चालीसा का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण संख्या मानी जाती है.
- 21-दिवसीय साधना: 21-दिवसीय साधना या आध्यात्मिक अभ्यास करें। इसमें 21 दिनों तक प्रतिदिन चालीसा का पाठ करना शामिल है.
- मानसिक ध्यान: चालीसा का पाठ करते समय मानसिक ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें। इससे पूर्ण लाभ प्राप्त करने और भगवान हनुमान से जुड़ने में मदद मिलती है.
- भक्ति: चालीसा का पाठ भक्ति और विश्वास के साथ करें। पूर्ण लाभ प्राप्त करने और भगवान हनुमान से जुड़ने के लिए यह आवश्यक है.
- समय: चालीसा का पाठ सही समय पर करें। इसे शाम के समय, खासकर सूर्यास्त के समय पढ़ने की सलाह दी जाती है.
- उचित उच्चारण: चालीसा का पाठ उचित उच्चारण के साथ करें। पूर्ण लाभ प्राप्त करने और भगवान हनुमान से जुड़ने के लिए यह महत्वपूर्ण है.
इन चरणों का पालन करके, आप हनुमान चालीसा का पाठ करने का पूरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं और भगवान हनुमान से जुड़ सकते हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें?
हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से और खासकर मंगलवार को करना, अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से परेशानियों से सुरक्षा मिलती है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने का अनुशंसित तरीका है:
[1.] हनुमान की मूर्ति या छवि के सामने बैठें और अपने पास एक कटोरी पानी रखें।
[2.] पाठ शुरू करने से पहले हनुमान देवता को लाल फूल चढ़ाएं।
[3.] भक्ति और एकाग्रता के साथ पूरी 40-श्लोक वाली हनुमान चालीसा का पाठ करें।
[4.] पाठ के बाद देवता को बेसन के लड्डू, गुड़ या चने जैसे प्रसाद चढ़ाएं।
हनुमान चालीसा से सीखें ‘विनम्रता’ का गुण
मनुष्य को इस संसार का उत्तम प्राणी माना जाता है। कारण यह है कि अपने कुछ विशिष्ट गुणों के कारण उसका अन्य प्राणियों से अलग अस्तित्व बन गया है और अपने इन्हीं गुणों के कारण उसने अपना विकास भी कर लिया है। जब उसे समाज में रहना है तो एक सामाजिक प्राणी होने के नाते उसमें कुछ गुणों का होना भी आवश्यक है। अपनी इन्हीं विशिष्टताओं के बल पर वह अपने समाज में लोकप्रियता की दृष्टि से उद्यम तथा सुख प्राप्त करता है। लोक-व्यवहार की दृष्टि से समाज में विनम्रता को विशिष्टि गुण माना गया है या कहें कि विनम्रता को मानवता का द्योतक माना गया है। यही बात श्री हनुमान चालीसा में बार-बार समझाई गई है।
मनुष्य विद्वान होने के साथ-साथ प्रभावशाली बन जाता है। ऐसे प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला व्यक्ति सबका प्रिय होता है तथा सभी उसकी प्रशंसा एवं आदर सत्कार करते हैं। जिन मनुष्यों में यह गुण नहीं होता वे समाज में हीनता की दृष्टि से देखे जाते हैं और उनके साथ कोई भी निकटता का संबंध बनाना नहीं चाहता।
विनम्रता बड़ी ही अद्भुत चीज है और भारतीय धर्म-ग्रंथों में इसका विस्तार से वर्णन एवं व्याख्या भी किया गया है। स्वयं भगवान विष्णु इसके प्रमाण हैं। आवेश में आने पर भृगु मुनि ने जब अपना पैर उनके छाती पर मारा, तो विष्णु भगवान ने तत्काल उनका पैर पकड़कर कहा, ‘हे ऋषि! आप कहीं चोटील तो नहीं हुये।’
विष्णु भगवान के इस विनम्र स्वभाव के कारण भृगु मुनि तो पानी-पानी हो गए। इसलिए सदैव याद रखें विनम्रता क्रोध के आवेग को तुरंत समाप्त कर देती है। अनायास उत्तेजना और क्रोध से बचाव करती है और आपको परेशानियों और झंझटों में नहीं पड़ने देती।
हमारी भारतीय संस्कृति भी विनम्रता से ओत-प्रोत रही है। क्योंकि इसे विद्वानों और सज्जनों का सर्वोत्तम गुण माना जाता है।
हमारे कई ऋषि-मुनियों को भी विनम्रता के अभाव में गलत आचरण करते देखा गया है। अपने क्रोधी और उग्र स्वभाव के कारण उन्होंने नाना प्रकार के उत्पातों को जन्म देकर लोगों की घृणा ही प्राप्त की है। वहीं अपनी विनम्रता के बल पर अनेक लोग इतिहास के पन्नों पर अपना नाम अंकित करा गए हैं।
एक विनम्र व्यक्ति सदैव आदर व सम्मान का पात्र होता है। सभी उसकी सज्जता का गुणगान करते हैं। वह सबके स्नेह का पात्र होता है। चाहे स्त्री हो या पुरुष, उनके लिए विनम्रता लोक-व्यवहार में निपुणता का एक मानदण्ड साबित होती है।
आपने स्वयं अपने आस-पास में देखा होगा कि कुछ लोग बड़ी शान और अकड़ दिखाते हैं। उन लोगों को अपने आप पर बड़ा अभिमान और गर्व होता है। किसी के अभिवादन का उत्तर देने में भी नाक-भौं सिकोड़ते हैं। अपनी ओर से किसी को अभिवादन करना तो वे जानते ही नहीं है। उनका ऐसा मानना है कि ऐसा करने से उनकी शान में कमी आ जाएगी या उनकी इज्जत पर बट्टा लग जाएगा। छोटों से आदर लेना और बड़ों का आदर करना तो ऐसे लोगों को आता ही नहीं है। इनकी बोल-चाल का ढंग भी बड़ा अजीब तरह का होता है। चर्चा के दौरान किसी बुजुर्ग व्यक्ति का नाम आने पर तपाक से कह उठते हैं, ‘अरे…वो बुड्ढ़ा…खूसट…’ या किसी अन्य की चर्चा के दौरान मजाक उड़ाते हैं। इस तरह का व्यवहार कर वे अपने आपको बड़ा अक्लमंद साबित करते हैं लेकिन इस बात को भूल जाते हैं कि उनकी इस तरह की बातें सुनने वाला मन ही मन उनसे कितनी घृणा करने लगा है। समाज ऐसे व्यक्तियों की कैसे प्रशंसा कर सकता है।
“जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के बारे में कुछ कहता है, तो निश्चित मान लीजिए कि वह आपके लिए भी वैसी ही बातें, वैसी ही शब्दावली का प्रयोग कर सकता है।”
निश्चय ही इस प्रकार का व्यक्ति आपकी भी या सुनने वाले व्यक्ति का भी उसी प्रकार निंदा कर सकता है।
सदैव ध्यान रखें, इस तरह की बातें करना, किसी की परेशानी का मजाक उड़ाना, किसी के शारीरिक दोष पर कटाक्ष करना एकदम अनुचित है। ऐसा आचरण कर आप कभी किसी का सम्मान या प्रशंसा नहीं पा सकते। इसलिए विनम्रता को धारण कीजिए और समाज की प्रशंसा व सम्मान के पात्र बन जाइए। अपने बड़ों का सदा सम्मान करिए। उनके सामने पड़ने पर विनम्रता के साथ उन्हें नमस्कार अभिवादन कर ही आगे बढ़िए और उनसे वार्तालाप के दौरान भी सद्आचरण करिए। फिर देखिए आपको उनसे कितना सम्मान और आदर प्राप्त होता है। मित्रों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार कर उनके स्नेह का पात्र बन जाइए।
विनम्रता अपनाने में आपका कुछ खर्च नहीं होता। आप सरलता से अपने को इस व्यवहार में ढाल सकते हैं। अगर आप योग्य हैं, धनी हैं, हष्ट-पुष्ट हैं, सुंदर हैं, तो विनम्रता आपके व्यक्तित्व में और भी चार चांद लगा देगी। आप समाज में और भी अधिक लोकप्रिय हो सकते हैं। छोटो-बड़ों सभी का प्यार आपको मिल सकता है।
जिन लोगों में विनम्रता का अभाव होता है वे बड़े अभिमानी होते हैं। आपने देखा होगा, कुछ लोग अपने धन, अपने शरीर या अपने गुण विशेष पर बड़ा अभिमान करने लगते हैं। महिलाओं में तो यह दोष बहुतायत में पाया जाता है। कोई विशिष्ट पद पा लेने पर उनमें बड़ा अहंकार आ जाता है।
घर में कोई महंगी चीज आ गई तो पड़ोसियों में अपनी शान बघारने लग जाती हैं। और दूसरों को अपने आगे हेय या तुच्छ समझने लग जाती हैं। इस तरह वे अपने पास-पड़ोसियों का प्यार भी खो बैठती हैं।
अगर इन बातों की जगह वे अपने पास-पड़ोसियों से विनम्रता का व्यवहार करती तो वे सदैव उनके सुख-दुख में काम आते और वे कहते – देखा उसके घर में भगवान का दिया सब कुछ है, लेकिन उसके व्यवहार में आज भी मिठास है, अहंकार तो उसको जैसे छू हीं नहीं पाया है। याद रखें, जब व्यक्ति के स्वभाव में अहंकार का समावेश हो जाता है तो वह व्यक्ति समाज के बीच अलोकप्रिय हो जाता है। अभिमान आपके मन रूपी घर को हमेशा खाली ही रखता है।